अक्ल किसके बाप की – कहानी
एक जंगल था। वहाँ अनेक प्राणी हिलमिल कर भाईचारे के साथ रहते थे। उसमें एख खरगोश भी रहता था जिसका रंग काले रंग के धब्बों सहित सफेद था। एक दिन वह भूख लगने की वजह से भोजन की खोज में निकला। रास्ते में उसे एक सफेद रंग का खरगोश मिला और दोनों मिलकर भोजन की खोज में आगे बढ़े। वहाँ उन्होंने अंगूर के बड़े – बड़े गुच्छे देखे और बहुत सी अंगूर नीचे गिरी हुई भी देखी। उनके आनंद का पार नहीं रहा। नाचते हुए दोनों ही अंगुर का मजा लुटने लगे।
कुछ ही देर बाद उन्होंने वहाँ पर शकरे शियार को आते देखा। दोनों एकदम घबरा गए। शियार ने भी देख लिया और सोचने लगा कि आज तो मेरे लिए इन दोनों की स्वादिष्ट मेजबानी होगी। परंतु यह काला सफेद खरगोश बुद्धि से एअदम अक्लमंद था। उसने दूसरे खरगोश से कहा शियार एकदम धोखेबाज है और हमें देख भी लिया है इसलिए आज हमारे बारह बज गए।
अगर इससे बचना है तो मेरे कहने के हिसाब से चलो! फिर वह नाचने – गाने लगा और जोर – जोर से दूसरे खरगोश से बोलने लगा अरे ! आज धुड़ी हाथी भाई ने मुझे कहा है जो अंगूर खाएगा उसमें सिंह की शक्ति आ जाएगी। इसलिए तुम भी मजे से खाओ और आनंद मनाओ। दोनों इस बात पर नाचने गाने लगे।
यह बात उस शियार ने सुन ली। फिर बात को आगे बढ़ाते हुए सफेद खरगोश बोला उस हाथी ने एक और बात कही थी। जो अकेला अंगूर खाएगा उसे सिंह की शक्ति नही मिलेगी। परंतु यदि दो प्राणी साथ में मिलकर खाएँगे तो ही वह शक्ति प्राप्त होती है। साथ में नाचना – गाना भी जरुरी है।
अभी हम दो है इसलिये हमें किसी से भी डरने की जरुरत नहीं है। दोनों को आनंद में नाचते हुए देखकर शियार को उनकी बात सच लगी। उसे भी लगा ‘मैं भी जाकर मेरे भाई शियार को लेकर आऊं और हम दोनों अगर साथ में अंगूर खाएँगे तो मुझमें भी सिंह जैसी शक्ति आएगी और सियार जिस दिशा में अपने सियार भाई को लेने गया, उसकी विपरीत दिशा में दोनों खरगोश भाग निकले और जान बचा ली।’